त्रिपलं त्रिफलाचूर्णं कृष्णाचूर्णं पलोन्मितम्।
गुग्गुलुः पाञ्चपलिकः क्षोदयेत् सर्वमेकतः।।
ततस्तु गुटिकां कृत्वा प्रयुञ्ज्याद् वह्न्यपेक्षया।
भगन्दरं गुल्मशोथावासि च विनाशयेत्।। (शा. सं. मं. 7/82-83)
Ingredients:-
त्रिफला चूर्ण (Terminalia chebula Terminalia bellirica Phyllanthus emblica) | 12 तोला ~ 120g |
पीपल का चूर्ण (Ficus religious) | 4 तोला ~ 40g |
शुद्ध गुग्गुलु (Commiphora mukul) | 20 तोला ~ 200g |
विधि:-
सभी द्रव्यों को एक साथ कूटकर घृत के साथ 3-3 रत्ती की गोलियां बनाएं।
स्व निर्माण विधि (सार संग्रह से):-
Ingredients=
हरड़ (Terminalia chebula) | 1 भाग |
बहेड़ा (Terminalia bellirica) | 1 भाग |
आंवला (Phyllanthus emblica) | 1 भाग |
शुद्ध गन्धक (Sulphur) | 3 भाग |
गुग्गुलु (Commiphora mukul) | 3 भाग |
एरण्ड तैल (Castor oil) |
विधि=
शुद्ध गुग्गुलु लेकर गन्धक का सूक्ष्म मर्दन करके सब द्रव्यों को मिलाकर एरण्ड तैल के साथ अच्छी तरह कूटकर 3-3 रत्ती की गोलियां बना लें।
मात्रा व अनुपान=
2-4 गोली सुबह-शाम गर्म जल अथवा त्रिफला क्वाथ के साथ लेें।
गुण व उपयोग:-
- इसके (Triphala guggulu) प्रयोग से सभी प्रकार के वातज शूल, भगन्दर, शोथ, बवासीर व रक्त विकार नष्ट होते हैं।
- यह उत्तम रेचक, वायुनाशक, रक्तशोधक व दीपन- पाचन करता है।
- यह वातरक्त व कुष्ठ रोग नाशक है।