Acharya Sushruta has mentioned 17 Sarvagata Roga (all over the eye) in his samhita along with signs and treatment which are as follows. अशोक का हाथ वात के प्रकोप से शुष्क हो गया और अन्यवात से दुषित होकर सिर का पतन हो गया। अशोक – अशोफ व सशोफ अक्षिपाक हाथ – हताधिमंथ वात – वातपर्याय […]
Category: Shalakya Tantra
Krishnagata refers to black portion/ brown region in eye (cornea), Acharya Sushruta mentioned 4 types of disorders along with their management. Trick to learn krishnagata roga :- कृष्ण अजा की अक्षि पर व्रण हुआ। अजा – अजकाजात अक्षि – अक्षिपाकात्यय व्रण – सव्रण, अव्रण शुक्र Quick Revision:- सव्रण शुक्र (क्षत शुक्र) गहराई मे सुई से […]
Shuklagata refers to diseases of white portion of eye ( sclera). अर्जुन बल से जाल में शक्ति ( अर्म ) पकड रहा था । अर्जुन – अर्जुन बलसे – बलासग्रंथित जाल – सिराजाल शुक्ति – शुक्तिका अर्म – 5 प्रकार के अर्म (प्रस्तारी, अधिमासज, स्नायु, शुक्ल, क्षतज) पकड – सिरा पिडिका व पिष्टक Join BJP […]
Acharya Sushruta mentioned 21 Vatarmgata roga ( disorders of eye lids ) in his samhita along with their symptoms and management. Trick to learn Vatarmgata Roga:- श्याम संग बहल लगण में पं प्रक्लिन्न ने पोथी से अंज्जन विष से अर्श मे चोट करना बताया। कुंभ ने निमेष को शर्करा बंधन लगाया जिससे पक्ष के अर्बुद […]
Total of 9 Sandhigata ( disease based on joints ) are mentioned by Acharya Sushruta. Trick to learn Sandhigata Rog:- Dr. Anajali ने प्रवीण की ग्रंथि से पूय स्त्राव देखा तो उपनाह लगाया। Dr. Anjali – अलजी प्रवीण – पर्वणिका ग्रंथि – कृमिग्रंथि पूय – पूयलास स्त्राव – 4 प्रकार के स्त्राव पूयस्त्राव रक्त स्त्राव […]
Adhimantha also known as Glaucoma, is a group of conditions that have a characteristic optic neuropathy associated with visual field defects and elevated intraocular pressure. संहिताओं में इसका वर्णन निम्न आचार्यों ने किया है:- सुश्रुत संहिता उत्तरतंत्र – 6 (सर्वगतरोगविज्ञानीयध्याय) 9 (वाताभिष्यन्द- अधिमन्थप्रतिषेध) 10 (पित्ताभिष्यन्दप्रतिषेध) 11 (श्लेष्माभिष्यन्दप्रतिषेध) 12 (रक्ताभिष्यन्दप्रतिषेध) अष्टांग हृदय उत्तरतंत्र – 15 “वृद्धैरेतैरभिष्यदैर्नराणामक्रियावताम् […]
दुष्ट त्वचा, मांस आदि को स्वस्थान से दूर करता, काट कर हटाता है, उसे क्षार (Kshar) कहते हैं। बहुत से आचार्यों ने इसका वर्णन अपनी संहिताओं में किया है:- सुश्रुत संहिता = सूत्र स्थान 11, उत्तर तंत्र 42, गुल्म चिकित्सा अध्याय अष्टांग संग्रह = सूत्र स्थान 39 अष्टांग हृदय = सूत्र स्थान 30 चक्रदत्त अध्याय […]
अक्षिपाक (Akshipaka) also known as Uveitis; is defined as the inflammation of uveal tissue. इसका वर्णन सुश्रुत संहिता उत्तरतंत्र अध्याय 6 और अध्याय 12 व अष्टांग हृदय उत्तरतंत्र अध्याय 15 में किया है। सशोफ अक्षिपाक:- “कुण्डूपदेहाश्रुयुतः पक्वोदुम्बरसन्निभः। दाहसंघर्षताम्रत्वशोफनिस्तोदगौरवैः। जुष्टो मुहुः स्रवेच्चास्त्रमुष्णशीताम्बु पिच्छिलम्। संरम्भी पच्यते यश्च नेत्रपाकः स शोफजः।।” (सु.उ. 6/21) नेत्र में खुजली होना, मल […]
इंद्रलुप्त (Indralupta), वह रोग जिसमें रोम की उत्पत्ति बंद हो जाती है। इसे Alopecia के नाम से भी जाना जाता है। निदान व सम्प्राप्ति/ Cause and Pathogenesis:- रोमकूपानुगं पित्तं वातेन सह मूर्च्छितम् । प्रच्यावयति रोमाणि ततः श्लेष्मा सशोणितः ।। रूणद्धि रोमकूपांस्तु ततोऽन्येषामसम्भवः । तदिन्द्रलुप्तं खालित्यं रुज्येति च विभाव्यते ।। (सु.नि. 13 / 32-33) वात, पित्त […]
दारुणक (Darunaka) को Dandruff के नाम से भी जाना जाता है। जिस रोग में केश भूमि कठिन हो जाए, उसे दारुणक कहते है। इसका वर्णन निम्न आचार्यों ने किया है। दारुणेति कठिना। (माधव निदान क्षुद्र रोग 55/30) दारुण का अर्थ होता है कठिन। व जिस रोग में केश भूमि कठिन हो जाए, उसे दारुणक (Darunaka) […]