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Gangadhar Churna | गङ्गाधर चूर्ण : Types, Benefits, Uses

यह गङ्गाधर चूर्ण (Gangadhar Churna) नदी के वेग की तरह प्रवृद्ध अतिसार को शान्त करता है। इसके सेवन से सभी प्रकार के अतिसार, सभी प्रकार के शूल, संग्रहणी, सूतिका रोग आदि शान्त होते हैं।

Laghu Gangadhar Churna/ लघु गङ्गाधर चूर्ण:-

मुस्तसैन्धवशुण्ठीभिर्धातकीलोध्रवत्सकैः । बिल्वमोचरसाभ्याञ्च पाठेन्द्रयवबालकैः ॥४ ३॥ आम्रबीजमतिविषा लज्जा चेति सुचूर्णितम् । क्षौद्रतण्डुलतोयाभ्यां जयेत्पीत्वा प्रवाहिकाम् ॥४४॥ सर्वातीसारशमनं सर्वशूलनिषूदनम्। सङ्ग्रहग्रहणी हन्ति सूतिकाऽऽतङ्कमेव च ॥ एतद्गङ्गाधरं चूर्णं सरिद्वेगावरोधनम् ॥४५

घटक द्रव्य/ Ingredients:-

*सभी द्रव्यों को समभाग लें।

  1. नागरमोथा / मुस्ता (Cyperus rotundus)
  2. सैन्धव नमक (Rock Salt)
  3. शुण्ठी / अदरक (Zingiber officinalis)
  4. धातकीपुष्प (Woodfordia fruiticosa)
  5. लोध्र (Symplocos racemosa)
  6. कुटज त्वक् – वत्सक (Bark of Holarrhena antidysenterica)
  7. बालबिल्व- फलमज्जा (Aegle marmelos)
  8. मोचरस (Bombax ceiba)
  9. पाठा (Cyclea peltata)
  10. इन्द्रयव (Seeds of Holarrhena antidysenterica)
  11. सुगन्धबाला – बालक (Pavonia odorata)
  12. आम की गुठली – Mango seed (Mangifera indica)
  13. अतीस – अतिविषा (Aconitum heterophyllum)
  14. लज्जालुबीज (Mimosa pudica)

निर्माण विधि/ How to make Laghu Gangadhar Churna:-

Gangadhar Churna
  • सभी द्रव्यों को समभाग में लेकर सूक्ष्म चूर्ण कर लें तथा कांचपात्र में संग्रहीत करें।
  • 2-4 ग्राम की मात्रा में इस चूर्ण को शहद और तण्डुलोदक के साथ रोगी को सेवन करायें।

मात्रा/ Dosage:-

2-4 gm (ग्राम)

अनुपान:-

  • शहद (Honey)
  • तण्डुलोदक

उपयोग/ Therapeutic Uses:-

  1. अतिसार (Diarrhoea)
  2. ग्रहणी (Sprue Syndrome/ Malabsorption Syndrome)
  3. शूल (Pain)
  4. सूतिकारोग (Diseases of pregnant women)
  5. संग्रहणी आदि में।

Brihat Gangadhar Churna/ बृहद गङ्गाधर चूर्ण

यह बृहद गङ्गाधर चूर्ण सभी प्रकार के उदर रोगों को शान्त करता है। 250- 500 mg (मि.ग्राम) की मात्रा में तक्र के साथ रोगी को सेवन करायें। इसके सेवन से 8 प्रकार के ज्वर, असाध्य एवं भयंकर अतिसार, अनेक प्रकार की संग्रहणी आदि रोग शान्त होते हैं।

Brihat Gangadhar Churna
बृहत गंगाधर चूर्ण

बिल्वं मोचरसं पाठा धातकी धान्यमेव च। ह्रीबेरं नागरं मुस्तं तथैवातिविषा समम् ॥४६॥ अहिफेनं लोधकञ्च दाडिमं कुटजं तथा। पारदं गन्धकञ्चैव समभागं विचूर्णयेत् ॥४७॥ तक्रेण खादयेत्प्रातश्चूर्णं गङ्गाधरं महत् । ज्वरमष्टविध हन्यादतीसारं सुदुस्तरम् ॥४८॥ ग्रहणीं विविधाञ्चैव कोष्ठव्याधिहरं परम् ॥४९॥

घटक द्रव्य/ Ingredients:-

*सभी द्रव्यों को समभाग लें।

  1. बालविल्व-फलमज्जा (Aegle marmelos)
  2. मोचरस (Bombax ceiba)
  3. पाठा (Cyclea peltata)
  4. धातकीपुष्प (Woodfordia fruiticosa)
  5. धनियाँ (Coriandrum sativum)
  6. सुगन्धबाला- बालक (Pavonia odorata)
  7. शुण्ठी / अदरक (Zingiber officinalis)
  8. नागरमोथा / मुस्ता (Cyperus rotundus)
  9. अतीस – अतिविषा (Aconitum heterophyllum)
  10. शुद्ध अफीम (Papaver somniferum)
  11. लोध्रत्वक (Symplocos racemosa)
  12. अनारदाना (Seeds of Punica granatum)
  13. कुटजत्वक् – वत्सक (Bark of Holarrhena antidysenterica)
  14. शुद्ध पारद (Purified and processed Mercury)
  15. शुद्ध गंधक (Purified and processed Sulphur)

निर्माण विधि/ How to make Brihat Gangadhar Churna:-

  • सर्वप्रथम शुद्ध पारद और शुद्ध गंधक को समभाग में लें।
  • उसे भलीभाँति खरल में मर्दन कर कज्जली करें।
  • तत्पश्चात् अन्य सभी द्रव्यों का सूक्ष्म चूर्ण कर लें तथा कज्जली में मिलायें।
  • अफीम (Papaver somniferum) को पानी में घोलकर उस पानी से एक दिन तक खरल में भावना देकर मर्दन करें।
  • जब सूख जाए तो पुनः छलनी से छानकर काचपात्र में संग्रह करें।

मात्रा/ Dosage:-

1-2 gm (ग्राम)

अनुपान:-

मट्ठा

उपयोग/ Therapeutic Uses:-

  1. ग्रहणी (Sprue Syndrome/ Malabsorption Syndrome)
  2. अतिसार (Diarrhoea)
  3. ज्वर (Fever) आदि में।

Madhyam Gangadhar Churna/ मध्यम गङ्गाधर चूर्ण

यह मध्यमगङ्गाधर चूर्ण अनुमान भेद से अनेक गुणों को उत्पन्न करके चिरकाल से उत्पन्न विभिन्न रंगों से युक्त; यथा-हरित, पीत, लाल, नीला मल के अतिसरण, अनेक चिकित्साविधियों से असाध्य ग्रहणी दोष, तृष्णा, दुःसाध्य कास, विभिन्न प्रकार के ज्वर, भयङ्कर शोथ, अरुचि एवं पाण्डु रोग को नष्ट करता है।

बिल्वं श्रृङ्गाटकदलं दाडिमं दलमेव च । समुस्तातिविषा चैव श्वेतसर्जञ्च धातकी ॥५०॥ मरिचं पिप्पली शुण्ठी दार्वी भूनिम्बनिम्बकम्। जम्बू रसाञ्जनञ्चैव व कुटजस्य फलं तथा ॥५१॥ पाठा समङ्गा ह्रीबेरं शाल्मलीवेष्टमेव च। शक्राशनं भृङ्गराजचूर्ण देयं समं समम् ॥५२॥ कुटजस्य त्वचश्चूर्ण सर्वचूर्णसमं मतम्। मध्यगङ्गाधरं नाम चूर्ण लोके महागुणम् ॥५३॥ नानावर्णमतीसारं चिरजं बहुरूपिणम्। दर्वारां ग्रहणीं हन्ति तृष्णां कासञ्च दुर्जयम् ॥५४॥ ज्वरञ्च विविधं हन्ति शोथञ्चैव सुदारुणम् । अरुचिं पाण्डुरोगञ्च हन्यादेव न संशयः॥ छागीदुग्धेन मण्डेन मधुना वाऽथ लेहयेत् ॥५५॥

घटक द्रव्य/ Ingredients:-

  1. बालबिल्वफलमज्जा (Aegle marmelos) – 50 gm
  2. सिंघाड़े के पत्ते (Leaves of Trapa natans) – 50 gm
  3. अनारफल का छिलका (Punica granatum) – 50 gm
  4. नागरमोथा/ मुस्ता (Cyperus rotundus) – 50 gm
  5. अतीस – अतिविषा (Aconitum heterophyllum) – 50 gm
  6. सर्जरस (Vateria indica) – 50 gm
  7. धातकीपुष्प (Woodfordia fruiticosa) – 50 gm
  8. मरिच (Piper nigrum) – 50 gm
  9. पिप्पली (Piper longum) – 50 gm
  10. शुण्ठी / अदरक (Zingiber officinalis) – 50 gm
  11. दारुहल्दी (Berberis aristata) – 50 gm
  12. चिरायता (Swertia chirayta) – 50 gm
  13. नीम की छाल (Bark of Azadirachta indica)- 50 gm
  14. जामुन की छाल (Bark of Syzygium cumini)- 50 gm
  15. रसाञ्जन (Extract of Indian barberis)- 50 gm
  16. इन्द्रयव (Seeds of Holarrhena antidysenterica) – 50 gm
  17. पाठा (Cyclea peltata) – 50 gm
  18. मंजिष्ठा (Rubia cordifolia) – 50 gm
  19. सुगन्धबाला – बालक (Pavonia odorata) – 50 gm
  20. मोचरस (Bombax ceiba) – 50 gm
  21. शुद्ध भाँग (Cannabis sativa)- 50 gm
  22. भृङ्गराज (Eclipta alba) – 50 gm
  23. कुटजत्वक् – वत्सक (Bark of Holarrhena antidysenterica) – 1.100 gm

निर्माण विधि/ How to make Madhyam Gangadhar Churna:-

  • इन सभी द्रव्यों का एक साथ सूक्ष्म चूर्ण करें और काचपात्र में संग्रहीत करें।

मात्रा/ Dosage:-

2-4 gm (ग्राम)

अनुपान:-

  • शहद (Honey)
  • बकरी का दूध (Goat milk)
  • मण्ड

उपयोग/ Therapeutic Uses:-

  • ज्वर (Fever)
  • अतिसार (Diarrhoea)
  • शोथ (Local Swelling/ Oedema)
  • अरुचि (Anorexia)
  • पाण्डु (Anemia)
  • ग्रहणी (Sprue Syndrome/ Malabsorption Syndrome) आदि।

Vridha Gangadhar Churna/ गङ्गाधरचूर्ण (वृद्ध) (चक्रदत्त)

यह वृद्धगङ्गाधर चूर्ण गङ्गा के समान भयङ्कर अतिसार के वेग को शान्त करता है। इसके सेवन से प्रवाहिका, सभी प्रकार के अतिसार एवं ग्रहणी रोग शीघ्र ही शान्त होते हैं।

मुस्तारलुकशुण्ठीभिर्धातकीलोध्रबालकैः। बिल्वमोचरसाभ्यां च पाठेन्द्रयववत्सकैः ॥५६॥ आम्रबीजसमङ्गाऽतिविषायुक्तैश्च चूर्णितैः । मधु तण्डुलपानीयं पीतं हन्ति प्रवाहिकाम् ॥५७॥ हन्ति सर्वानतीसारान् ग्रहणीं हन्ति वेगतः । वृद्धं गङ्गाधरं चूर्णं रुन्ध्याद्गीर्वाणवाहिनीम् ॥५८॥

घटक द्रव्य/ Ingredients:-

*सभी द्रव्यों को समभाग लें।

  1. नागरमोथा / मुस्ता (Cyperus rotundus)
  2. सोनापाठा – श्यानोक (Oroxylum indicum)
  3. शुण्ठी / अदरक (Zingiber officinalis)
  4. धातकीपुष्प (Woodfordia fruiticosa)
  5. लोध्र (Symplocos racemosa)
  6. सुगन्धबाला – बालक (Pavonia odorata)
  7. बिल्व-फलमज्जा (Aegle marmelos)
  8. मोचरस (Bombax ceiba)
  9. पाठा (Cyclea peltata)
  10. इन्द्रयव (Seeds of Holarrhena antidysenterica)
  11. कुटजत्वक् – वत्सक (Bark of Holarrhena antidysenterica)
  12. आम की गुठली – Mango seed (Mangifera indica)
  13. मञ्जिष्ठा (Rubia cordifolia)
  14. अतीस- अतिविषा (Aconitum heterophyllum)

निर्माण विधि/ How to make Vridha Gangadhar Churna:-

  • इन सभी द्रव्यों को समभाग में लेकर सूक्ष्म चूर्ण कर लें।
  • 1-2 gm (ग्राम) चूर्ण की मात्रा शहद में मिलाकर तण्डुलोदक के साथ प्रतिदिन 3 बार रोगी को सेवन करायें।

मात्रा/ Dosage:-

1-2 gm (ग्राम)

अनुपान:-

  • शहद (Honey)
  • तण्डुलोदक

उपयोग/ Therapeutic Uses:-

  • प्रवाहिका (Dysentery)
  • अतिसार (Diarrhoea)
  • ग्रहणी (Sprue Syndrome/ Malabsorption Syndrome) आदि में।