इस गुग्गुलु का निर्माण करने के लिए सात द्रव्यों का प्रयोग किया जाता है, अतः इसे सप्तांग गुग्गुलु ( Saptang Guggulu ) की संज्ञा दी गई है
गुग्गुलुत्रिफलाव्योषैः समांशैराज्ययोजितैः । अक्षप्रमाणं गुटिकां खादेदेकामतन्द्रिः ॥ नाडी दुष्टवणं शूलमुदावर्त्त भगन्दरम् । गुल्मञ्च गुदजान्हन्यात्पक्षिराट् पन्नगानिव ॥ ( भाव प्रकाश मध्यम नाड़ी व्रण 49/30-31 )
सामग्री-
- शुद्ध गुग्गुलु (Commiphora wightii)
- हरड़ (Terminalia chebula)
- बहेड़ा (Terminalia bellirica)
- आंवला (Phyllanthus emblica)
- सोंठ (Zingiber officinale)
- मरीच (Piper nigrum)
- पिप्पली (Piper longum)
विधि-
- शुद्ध गुग्गुलु, हरड़, बहेड़ा, आंवला, सोंठ, मरीच व पिप्पली– इन द्रव्यों को समान परिमाण में लेकर कूट लें व कपड़छन चूर्ण बना लें।
- अब इस चूर्ण में थोड़ा-थोड़ा घी मिलाकर गोलियां (8-8 रत्ती की) बना लें।
◾मात्रा व अनुपान- 3-5 गोली सुबह-शाम घृत अथवा मधु के साथ लेें।
गुण व उपयोग-
इस गुग्गुलु के सेवन से अनेक रोग नष्ट होते हैं-
One reply on “Saptang Guggulu | सप्ताङ्ग गुग्गुलु – its preparation and uses”
Mujhe chahiye kaha se or kaise le please btaiye