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रसो गन्धो विष चैव टंकणं च मन: शिला ꫰ एतानी टंकमात्राणि मरिचं चाष्टटंकम् ꫰꫰ एकैकं मरिचं दत्वा खल्वे सूक्ष्मं विमर्दयत् । त्रिकुट टंकमात्र च दत्वा पश्चादिव् चूर्णचेत् ꫰꫰ सर्वमेकत्र संयोज्य काककूप्या विनिक्षिपेत् ꫰꫰
घटक द्रव्य :-
- शुद्घ पारद – 1 भाग
- पिप्पली – 1 भाग
- शुद्घ गंधक – 1 भाग
- मरिच – 8 भाग
- शुद्घ मन: शिला – 1 भाग
- शुण्ठी – 1 भाग
- शुद्घ वत्सनाभ – 1 भाग
भावना द्रव्य :-
जल के साथ
विधि / Vidhi :-
सबसे पहले शुद्ध पारद एवं शुद्घ गन्घक की कज्जली बनाकर, उसमें शेष द्रव्यों का सूक्ष्म चूर्ण मिलाकर जल के साथ मर्दन करके 1 – 1 रत्ती की वटी बनाकर सुुखाएँ।
Dosage :-
1 , 2 रत्ती OR (125 -250) Milli gram
अनुपान :-
मधु
मुख्य उपयोग :-
अग्निमांद्य, कास, श्वास, वातजकफज रोग।
REFERENCE :-
योग रत्नावली श्वास चिकित्सा पृष्ठ 373, भैषज्या रत्नावली ग्रहणी रोगाधिकार 523-532.
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