शब्द उत्पत्ति – वि + रिच् + णिच् + ल्युट् । ‘विरेचन’ (Virechan) का अर्थ है – मलादि को निष्कासित करना। आचार्य चरकानुसार :- तत्र दोषहरणमूर्च्व भागं वमन संज्ञकम, अधोभाग विरेचन संज्ञक; उभयं वा शरीरमलविरेचनाद्विरेचन संज्ञा लभते।। (च॰ क॰ अ॰ १/४) What is Virechan ? अधोमाग (गुदा) से दोष-हरण की क्रिया को विरेचन (Virechan) संज्ञा […]
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Introduction Antiseptic is an antimicrobial substance which is applied to living tissue/skin to reduce the possibility of infection, sepsis, or putrefaction. They are generally distinguished from antibiotics by the latter ability to safely destroy bacteria within the body, and from disinfectants, which destroy microorganisms found on non-living objects. Some antiseptics are true germicides, capable of […]
नस्य (Nasya) शब्द निष्पत्ति :- भावप्रकाश ने नासा मार्ग से औषध ग्रहण करने को नस्य (Nasya) कहा है। अरुण दत्त के द्वारा कहा गया है कि नासिका से नस्य दिया जाता है। ‘नस्य’ शब्द का अर्थ है – जो नासा (नाक) के लिए हितकारी है। उर्ध्वजत्रुविकारेषु विशेषान्नस्यमिष्यते। नासा ही शिरसो द्वारं तेन तद्व्याप्य हन्ति तान्। […]
षट क्रियाकाल (Shat Kriyakal) का सुंदर विवरण आयुर्वेद ग्रंथ में निम्नानुसार बताया गया है। जान लेते हैं कि क्रियाकाल शब्द बना कैसे है:- ‘क्रिया काल’ का शाब्दिक अर्थ है – क्रिया करने की अवस्था।षट अर्थात छःषट क्रियाकाल (Shat Kriyakal) का मिलित अर्थ हुआ = चिकित्सार्थ छह अवसर।आचार्य सुश्रुत ने दोषों की प्रकोपवस्था के अनुसार उन्होंने […]
Vaman karma ( वमन कर्म ) : Panchkarma
◾वमन (Vaman) शब्द उत्पत्ति :- ‘वम’ में ल्युुट् प्रत्यय लगाने से ‘वमन‘ शब्द की उत्पत्ति होती है। ‘वमन’ (Vaman) शब्द का अर्थ है उल्टी, आमाशय स्थित द्रव का मुख मार्ग से बहिर्गमन। ◾पर्याय :- छर्दि, प्रच्छर्दन, नि:सारण, अभिष्यंदन, आहरण ◾परिभाषा :- तत्र दोषहरणमूर्ध्वभाग वमनसंज्ञकम्। (च. क. 1/4) ऊर्ध्व मार्ग द्वारा दोषों के निरहरण को वमन […]