स्थिति– उत्तरी तानासन। विधि / Steps :- उत्तान तानासन दोनों घुटनों को मोड़ना चाहिए। एड़िया नितम्बों से लगी रहनी चाहिए। दोनों हाथों को उल्टा करके, दोनों कन्धौ के पास स्थिर करें। हाथ और पैरों के सहारे से कमर और छाती को ऊपर उठायें। धीरे-धीरे कमर को और अधिक ऊपर उठायें। पूरे शरीर का भार हाथ […]
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हल के समान शरीर की आकृति बनाने से इसे, हलासन (Halasana) कहते है। *स्थिति : ताड़ासन ( उत्तान नानासन) विधि /Steps :- सर्वांगासन की भाँति पैरों को क्रमश: 30°,60°,90° तक उठाना चाहिए। इस स्थिति को हलासन (Halasana) कहते हैं। हाथो से भूमि को दबाते हुये और पीठ को भूमि पर टिकाकर धीरे धीरे पैरों को […]
प्रवालमुक्ताफलशंखशुक्ति कपर्दिकानां च समांशभागम् ।प्रवालमात्र द्विगुणं प्रयोज्यं सर्वैः समांशं रविद्ग्धमेय।।एकीकृतं तत्खलु भाण्डमध्ये क्षिप्त्या मुखे बन्धनमत्र योज्यम्। पुटं विदध्यादतिशीतले च उद्धृत्य तद्भस्म क्षिपेत्करण्डे।। नित्यं द्विवारं प्रतिपाकयुक्तं वल्लप्रमाणं हि नरेण सेव्यम्।आनाहगुल्मोदर प्लीहकासश्वासाग्निमान्द्यान्कफमारुत्तोत्थान्।।अजीर्णमुद्गार हृदामयध्नं ग्रहण्यतीसार विकारनाशनम्।मेहामयं मूत्ररोगं मूत्रकृच्छू तथाश्मरीम्।। नाशयेन्नात्र सन्देहः सत्यं गुरुवाचो यथा।पथ्याश्रितं भोजनमादरेण समाचरेन्निर्मलचित्तवृत्त्या।। प्रवालपञ्चामृतनामधेयो योगोत्तमः सर्वगदापहारी।। (भै. र. गुल्म 32/116-120) घटक द्रव्य :- प्रवाल भस्म […]
सर्वांगासन के पश्चात् मत्स्यासन (Matsyasana) करना चाहिए। *शरीर मछली की भाँति जल में तैरने से ही इसे मत्स्यासन (Matsyasana) कहा गया है। स्थिति- उत्तान तानासन। विधि /Steps :- उत्तान ताड़ासन की स्थिति से दाहिने पैर को बायीं जाँघ पर और बाएं पैर को दाहिनी जाँघ पर रखें इस प्रकार यहाँ पद्मासन जैसी स्थिति बन जाती […]
घटक द्रव्य :- मुक्ता पिष्टि – 1 भाग मुक्ताशुक्ति भस्म – 1 भाग शंख भस्म – 1 भाग गुडूची सत्त्व – 1 भाग प्रवाल पिष्टी – 1 भाग कपर्दिका भस्म – 1 भाग शुद्ध गैरिक – 1 भाग Trick to Learn :- प्रवीण कोड़ी के भाव में शंख खरीदकर, गेरुआ वस्त्र धारण कर मुक्ति के […]
पारदामृतलवङ्ग गन्धर्व भागयुग्ममरिचेन मिश्रितम्। जातिकाफलमथार्द्धभागिकं तिन्तिडीफलरसेन मर्दितम्।। मायमात्रमनुपानयोगतः सद्य एव जठराग्निदीपनः। सङ्ग्रह ग्रहण कुम्भकर्ण सामवातखरदूषणं जयेत् । वह्निमान्द्यदशवक्त्रनाशनो रामबाण इति विश्रुतो रसः।। (‘भै. र. अग्निमांद्य 10/90-92) घटक द्रव्य :- शुद्ध पारद – 1 भाग शद्ध वत्सनाभ -1 भाग शुद्ध गन्धक – 1 भाग जायफल – ½ भाग लवङ्ग – 1 भाग मरिच – 2 भाग […]
रसभस्म त्रयो भागा भागकं हेमभस्मकम्। मित्रस्य भाग शिला गन्धक तालकम्।।प्रतिभागद्वयं शुद्धमेकीकृत्य विचूर्णयेत्। वराटिका तेन पिया चाजाक्षीरेण टंकणम्।। पिष्ट्वा तेन मुखं रुद्ध्वा मृद्भाण्डे तां निरोधयेत्।शुष्कं गजपुटे पाच्यं चूर्णयेत् स्वांग शीतलम्।। दशपिप्पलिकैः क्षौद्र्मरिचैर्वा घृतान्वितैः।गुञ्जा चतुष्ट्यशास्य क्षयरोग प्रशान्तये।। (र. सा. सं. यक्ष्मा चि. 2/3-6) घटक द्रव्य :- पारद भस्म – 3 भाग रजत भस्म – 1 भाग शुद्ध […]
हिंगुल विषं टंकं जातीकोषफले तथा।मिरिचं पिप्पली चैव कस्तूरी च समांशिका।।रक्तिद्वयं ततः खादेत् सन्निपाते सुदारुणे॥ (र. सा. सं. ज्वराधिकार-177) घटक द्रव्य :- शुद्ध हिंगुल – 1 भाग शुद्ध टंकण – 1 भाग जायफल – 1 भाग पिप्पली – 1 भाग शुद्ध वत्सनाभ – 1 भाग जावित्री – 1 भाग मरिच – 1 भाग कस्तूरी – 1 […]
सर्व शरीर के प्रभावित होने से इस आसन को सर्वाङ्गासन (Sarvangasana) कहा जाता है। स्थिति:- उत्तान तानासन। विधि:- पीठ के बल देना चाहिए। दोनों पैरों की एड़ी पंजे को मिलाये। धीर-धीर दोनों पैरों को जमीन से ऊपर उठाना चाहिए, हाथ कन्धे के समानान्तर सीध फेलाये। धीर-धीरे पैरों को 30 डिग्री तक उठाकर, कछ सैकण्ड इस […]
Introduction :- योगी मत्स्येन्द्रनाथ ने इसका अविष्कार करने से इसे मत्स्येन्द्रासन कहा गया है। पूर्ण मत्स्येन्द्रासन करने के लिए श्रम और श्रद्धा चाहिए। लेकिन अर्धमत्स्येन्द्रासन (Ardha Matsyendrasana) सरल है और चिकित्सा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। स्थिति :- दण्डासन विधि :- दण्डासन स्थिति से बैठे। बायां पैर मोड़कर उसकी एड़ी सोवनी (मल-मूत्रेन्द्रिय के मध्य) पर […]