योगेन्द्र रस (Yogendra Ras) आयुर्वेदिक औषधियों में एक उत्कृष्ट और वीर्यवान वातशामक औषध है। यह विशेषतः ह्रदय, मस्तिष्क, वातवहानाड़ियाँ, मन और रक्त पर अपना प्रभाव दर्शाता है। इसके सेवन से वातवहानाड़ियाँ सबल होती है; अतः जीर्ण (पुराना) वातविकार के साथ पित्त प्रकोपजन्य दाह (जलन), व्याकुलता, निद्रानाश, मुखपाक (मुंह में छाले), अपचन आदि लक्षण हो, तब विशेष लाभदायक है। जीर्ण वातविकार, अपस्मार और उन्माद आदि रोगों में यह निर्भयतापूर्वक प्रयुक्त किया जाता है।
विशुद्धं रससिन्दूरं तदद्र्धं शुद्धहाटकम्। तत्समं कान्तलौहञ्च तत्समं चाभ्रमेव च।। विशुद्धं मौक्तिकं चैव वङ्गञ्च तत्समं मतम्। कुमारिकारसैर्भाव्यं धान्याराशौ दिनत्रयम्।। रक्तिद्वयमितां वटी कुयाद्विचक्षणः।। (भै. र. वातव्याधि 26/160-162)
घटक द्रव्य/ Ingredients:-
- रस सिन्दूर (A preparation of Mercury and Sulphur) – 1 भाग
- स्वर्ण भस्म (Gold Bhasma) – 1/2 भाग
- कान्तलौह भस्म (Iron Bhasma) – 1/2 भाग
- अभ्रक भस्म (Purified and processed Silica) – 1/2 भाग
- मुक्ता भस्म (Purified and processed Pearl) – 1/2 भाग
- वङ्ग भस्म (Bhasma of Tin) – 1/2 भाग
भावना द्रव्य:-
घृतकुमारी स्वरस (Alovera juice) यथावश्यक
निर्माण विधि/ How to make Yogendra Ras:-
- सम्पूर्ण द्रव्यों के सूक्ष्म चूर्ण में घृतकुमारी स्वरस की भावना दें।
- फिर सम्पूर्ण द्रव्य को एरण्ड पत्र (Ricinus communis) से ढ़क्कर धान के ढ़ेर में तीन दिन तक रखें।
- बाद में खल्व में पीसकर सुरक्षित रखें।
मात्रा/ Dosage:-
125 से 250 mg (मि. ग्राम)
अनुपान:-
- मधु (Honey)
- त्रिफला क्वाथ (Decoction of Triphala)
मुख्य उपयोग/ Therapeutic Uses:-
- बहुमूत्र (Increase in the frequency of urination)
- प्रमेह (Diabetes mellitus)
- वातव्याधि (Neuro-muscular Disorders)
- अपस्मार (Epilepsy)
- पक्षाघात (Paralysis)
- भगन्दर (Anal fistula)
- अर्श (Piles)