त्रिपलं त्रिफलाचूर्णं कृष्णाचूर्णं पलोन्मितम्। गुग्गुलुः पाञ्चपलिकः क्षोदयेत् सर्वमेकतः।।ततस्तु गुटिकां कृत्वा प्रयुञ्ज्याद् वह्न्यपेक्षया। भगन्दरं गुल्मशोथावासि च विनाशयेत्।। (शा. सं. मं. 7/82-83) Ingredients:- त्रिफला चूर्ण(Terminalia chebulaTerminalia belliricaPhyllanthus emblica) 12 तोला ~ 120g पीपल का चूर्ण(Ficus religious) 4 तोला ~ 40g शुद्ध गुग्गुलु(Commiphora mukul) 20 तोला ~ 200g विधि:- सभी द्रव्यों को एक साथ कूटकर घृत के साथ […]
Author: Kritz
Low blood pressure is termed as Hypotension. ◾General criteria- Systolic bp < 90mmHg, Diastolic bp < 60 mmHg Etiology:- Low blood volume (hypovolemia) Hormonal changes Widening of blood vessels Anaemia Heart problems Endocrine problems Chronic use of alpha and beta- blockers and nitroglycerin (these are antihypertensive and using them for a long time lead to […]
व्युत्पत्ति- ‘कित रोगापनयने’ धातु में सन् प्रत्यय और अ लगने से ‘चिकित्सा’ (Chikitsa) शब्द की निष्पत्ति होती है।इसका अर्थ है रोगों को नष्ट करना। निरूक्ति- ‘केतितुम् इच्छति इति चिकिसति’, ‘चिकित्सति इति चिकित्सा’ अर्थात् रोगों को नष्ट करना ही चिकित्सा है। परिभाषा- याभिः क्रियाभिर्जायन्ते शरीरे धातवः समाः। सा चिकित्सा विकाराणां कर्म तद् भिषजां स्मृतम्।। (च.सू. 16/34) […]
वमन तथा विरेचन के पश्चात् संसर्जन क्रम अथवा तर्पणादि क्रम / Sansarjan and Tarpanaadi Kram (कोष्ठ व दोष का विचार कर) का पालन करना चाहिए। संशोधनास्त्रविस्त्रावस्नेहयोजनलङ्घनैः।। यात्यग्निर्मन्दतां तस्मात् क्रमं पेयादिमाचरेत् । (अ. हृ. सू. १८/४५) संशोधन, रक्तमोक्षण, स्नेहपान और लंघन इन कार्यों से अग्नि मंद हो जाती है, इसलिए पेया-विलेपी आदि के क्रम (Sansarjan and […]
जब संधि करते समय विसर्ग के बाद स्वर या व्यंजन वर्ण के आने से जो विकार उत्पन्न होता है, हम उसे विसर्ग संधि (Visarg Sandhi) कहते हैं। Rules of Visarg Sandhi :- 1. सूत्र- अतोरोरप्लुतादप्लुते यदि विसर्ग से पहले व बाद में दोनों स्थानों पर हृस्व ‘अ’ आ जाए तो विसर्ग ‘ओ’ में परिवर्तित हो जाता […]
व्यंजन का व्यंजन के साथ या स्वर के साथ संधि होने पर जो परिवर्तन होता है, वह व्यंजन संधि (Vyanjan Sandhi) कहलाता है। 1. सूत्र – मोऽनुस्वारः अर्थ – पद के अन्त में म् से परे यदि कोई व्यंजन आ जाए तो म् को अनुस्वार (ं ) हो जाता है। उदाहरण – पुस्तकम् + पठति […]
संधि : निकट वर्ती दो वर्णों (स्वर अथवा व्यंजन) के मेल से उनमें जो विकार उत्पन्न होता है, वह संधि कहलाता है। When 2 Alphabets (be it vowel or consonants) of different words are added, the change that occurs is known as Sandhi. संधि की मुख्यतया तीन भेद होते हैं – स्वर संधि (Swar Sandhi) […]
शब्द उत्पत्ति – वि + रिच् + णिच् + ल्युट् । ‘विरेचन’ (Virechan) का अर्थ है – मलादि को निष्कासित करना। आचार्य चरकानुसार :- तत्र दोषहरणमूर्च्व भागं वमन संज्ञकम, अधोभाग विरेचन संज्ञक; उभयं वा शरीरमलविरेचनाद्विरेचन संज्ञा लभते।। (च॰ क॰ अ॰ १/४) What is Virechan ? अधोमाग (गुदा) से दोष-हरण की क्रिया को विरेचन (Virechan) संज्ञा […]
Menstruation is the visible manifestation of Cyclic physiologic uterine bleeding due to shedding of the endometrium following invisible interplay of hormones mainly through hypothalamo-pituitary-ovarian axis. The first Menstruation (Menarche) occurs between 11-15 years and it ceases between the ages 45-50 when Menopause sets in. The Menstrual Cycle is divided in four phases– Menstruation / Menstrual […]
नस्य (Nasya) शब्द निष्पत्ति :- भावप्रकाश ने नासा मार्ग से औषध ग्रहण करने को नस्य (Nasya) कहा है। अरुण दत्त के द्वारा कहा गया है कि नासिका से नस्य दिया जाता है। ‘नस्य’ शब्द का अर्थ है – जो नासा (नाक) के लिए हितकारी है। उर्ध्वजत्रुविकारेषु विशेषान्नस्यमिष्यते। नासा ही शिरसो द्वारं तेन तद्व्याप्य हन्ति तान्। […]