गर्भपाल रस (Garbhpal ras) एक आयुर्वेदिक औषधि है जो मुख्य रूप से गर्भवती महिलाओं एवं महिला के गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के लिए ही जीवनी शक्ति के रूप में प्रयोग की जाती है । जैसा कि इस औषधि के नाम से ही पता चलता है कि यह औषधि गर्भ को पालने वाली अर्थात गर्भ की रक्षा करने वाली औषधि होती है ।
हिंगुलं नागवङ्गौ च त्रिजातं च कटुत्रयम्। धान्यकं कृष्णजीरं च चव्यं द्राक्षा सुरद्रुमः।। कर्षमानं पृथक् सर्वं कर्षाद्द्धं लोहभस्म च। सप्ताहं मर्दयेत्खल्वे विष्णुक्रान्तारसेन च।। गुञ्जामात्रा च वटिका द्राक्षाक्वाथेन योजयेत्।। (र. च. स्त्रीरोग)
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Ingredients/ घटक द्रव्य:
- शुद्ध हिंगुल / Cinnabar (Mercury compound) – 1 भाग
- शतपुटी नाग भस्म (Lead Calx) – 1 भाग
- वङ्ग भस्म (Tin calx) – 1 भाग
- त्वक् / Cinnamon (Cinnamomum zeylanicum) – 1 भाग
- तेजपत्र / Patra (Cinnamomum tamala) – 1 भाग
- सूक्ष्मैला / Cardamom (Elettaria cardamomum) – 1 भाग
- शुण्ठी (Zingiber officinalis) – 1 भाग
- मरिच (Piper nigrum) – 1 भाग
- पिप्पली (Piper longum) – 1 भाग
- धान्यक / Coriander (Coriandrum sativum) – 1 भाग
- कृष्णजीरक (Nigella sativa) – 1 भाग
- चव्य (Piper chaba) – 1 भाग
- द्राक्षा (Vitis vinifera) – 1 भाग
- देवदारू (Cedrus deodara) – 1 भाग
- लौह भस्म (Bhasma prepared from Iron) – 1/2 भाग
भावना द्रव्यः-
अपराजिता (Clitorea ternatea) स्वरस सात दिन तक मर्दनार्थ- यथावश्यक।
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How to make Garbhpal Ras/ निर्माण विधि:-
- सर्वप्रथम शुद्ध हिंगुल एवं सभी भस्मों को खल्व में डालें।
- फिर शेष वानस्पतिक द्रव्यों का सूक्ष्म चूर्ण डालें।
- उसमें अपराजिता स्वरस के साथ सात दिन तक मर्दन करें
- उससे 1-1 रत्ती की गोलियाँ बनाकर सुखायें।

Dosage/ मात्रा:-
125 से 250 milli. gram (मि. ग्राम)
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Anupana/ अनुपान:-
द्राक्षा जल (चतुर्गुण जल में/ 4 times water)
Therapeutic uses/ मुख्य उपयोग :-
- गर्भपात,
- गर्भस्राव,
- गर्भिणीरोग,
- प्रदर,
- शूल,
- विबन्ध,
- शिरोरोग,
- छर्दि,
- अग्निमांद्य।