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Gugulu Plants

Gugulu | Commiphora wightii Comparitive review

Botanical name :- Commiphora wightii
Sym :- Commiphora mukul

Family :- Burseraceae

Vernicular Names :-

तेलगु :- चेट्टा
तमिल :- मैशक्षी, गुक्कुलु
बंगाली :- मुकुल
नेपाली :- गोकुल धूप

Classical Mentions :-

राज निघण्टु :- चंदनादि वर्ग ( 3 भेद )
हृदय दीपक निघण्टु :- द्विपाद वर्ग
मदनपाल निघंटु :- कर्पूरादि वर्ग
चरक संहिता :- सूत्र 3/4
सुश्रुत संहिता :- सूत्र 32, चिकित्सा 5/37
अष्टांग संग्रह :-सूत्र 12/74
कैदेव निघण्टु :- ओषधि वर्ग ( 5, 3, 2 भेद )
धन्वंतरि निघण्टु :- चंदनादि वर्ग ( 2 भेद )
चंदू निघंटु :- एलादिगण
भाव प्रकाश :- कर्पूरादि वर्ग ( 5 भेद )
हारित संहिता :- गुग्गुलु कल्प
वैघ प्रसारकम् :- गुग्गुलु कल्प
काश्यप संहिता :- गुग्गुलु कल्प,
सोडोल निघंटु :- चंदनादि वर्ग

Comparitive Review Name :-

नामरा. नि.ह. नि.म. नि.के. नि.ध. नि.च. नि.भ. नि.
गुग्गुलु+++++++
यवनद्विष्ट+
भवभीष्ट+
निशाटक+
जटाल+
कालनिर्यास++++
पुर+++++++
भूतहर+
शिव++++
कौशिक+++++++
शाम्भव+
दुर्ग+
यातुघ्न+
महिषाक्षक+
देवेष्ट+
मरुदेश्य+
रक्षोहा+
रुक्षगंधक+
दिव्य+
महिषाक्ष+++++++
पलड्कष+++
जटायु+++
धुर्त्त+
देवधूप++
निशोत्साही+
उलूखल+
सर्वसह+
शिवरुप+
पलंकष++
दुर्गा+
नक्तंचर++
यामिनीचर+
वायसारि+
उलूक+
रात्रिग+

Other Varieties :-

नामरा. नि.
कण गुग्गुलु+
गंधराज+
स्वर्णकण+
सुवर्ण+
कनक+
वंशपोत+
सुरस+
पलङ्कष+
नामरा. नि.
भूमिज गुग्गुलु+
भूमिज+
दैत्यमेदज+
दुर्गाह्लाद+
इडाजात+
आशारिपुसम्भव+
मज्जाज+
मेदज+
महिषासुरसम्भव+

गुग्गुलु की उत्पति :-

  • शिवजी ने इसकी उत्पति गोमूत्र के संचय से की थी । ( चंदू )
  • सागर मंथन से उत्पति हुई थी पुन: ( चंदू )
  • देवताओं के कांति, धैर्य, तेज हीन होने पर विष्णु ने गूगल उत्पन्न किया
Gugulu shrub

External Morphology :-

1.2-1.8 m shrub to tree,
bark :- contains thrones, sweat glands, ash in colour, rough,
leaves :- sweet smelling, shinny like neem leaves, rectangular in shape,
flowers :- reddish brown in colour, small,
fruit :- ecliptical in shape, many colours, red when ripened, 6-8cm in diameter,
gum :- sweet smelling, many coloured, white in hot water

Flowering & fruiting season :- Jan – may

Gugulu fruit

Chemical Constituents :-

Gum :- volatile oil, comiphorik acid, gugulsteral, plenolic, olic, steyrik, pamitik acid, fenolik resin. Volatile oil :- cuminic acid, aldehyde, ujinol, metacrisrol, pinrin, lenonic

प्राप्ति स्थान :-

मेरु पर्वतग्रीष्म ऋतु
हिमालयहेमंत ऋतु

5 Varieties :-

भेदलक्षणजाति
हिरण्यसोने के समान वर्ण वालामनुष्य
कुमुदकुमुद पुष्प के समान आभा वालाघोड़ा
पद्म रागमाणिक्य के सामन वर्ण वालाघोड़ा
महा नीलअत्यन्त नील वर्ण काहाथी
मही षाक्षभौर केए समान कृष्ण वर्ण काहाथी, मनुष्य

Comparitive Review Gunn :-

गुणरा. नि.म. नि.आ. सं.के. नि.ध. नि.च. नि.भ. नि.सु. सं.हा. स.
कटु तिक्त+
उष्ण++++++
कफवात शामक+++++++
विशद++++
तिक्त मधुर+
सर++++
पिछल++++++
कटु तिक्त कषाय मधुर++
कटु विपाक++++++
सुक्ष्म++++++
लघु+++++
त्रिदोष नाशक+++++
स्निग्ध++++
कटु कषाय मधुर+
सुगंधिक++
रुक्ष++++
कटु तिक्त कषाय++
स्वादु+
विशद+
तीक्ष्ण++
स्थिर+
पित्त कारक‌+
कटु+

Other Varieties :-

गुण (कण)रा. नि.
कटु+
उष्ण+
वात नाशक+
सुगंधि+
गुण ( भूमिज )रा. नि.
कटु तिक्त+
उष्ण+
कफ वात नाशक+
सुगंधि+

Old and New gugulu :-

TypeQualities
नवीनधातु वर्धक, वृष्यसोने के समान, स्निग्ध, पके हुए जामुन के समान, पिछल
पुरानाधातु शोषकशुष्क, दुर्गध युक्त, वीर्य व वर्ण के बिना

केसे त्रिदोष शामक है ? :-

मधुर रस होने सेवात
कषाय रस होने सेपित्त
तिक्त रस होने सेकफ

Comparitive Review Karm :-

कर्मरा. नि.म. नि.आ. सं.के. नि.ध. नि.च. नि.भ. नि.हा. स.
कास+
कृमि++++++
वात रोग++
प्लीहा+
शोफ़+++
अर्श++++
भ्रग संधि जोड़ने वाला+++++
वृष्य++++
रसायन++++++
दीपन++++++
बल्य++++
व्रण++++
अपची+++
मेदो रोग+++++
प्रमेह++++
रक्त दुष्टि+
क्लेद+++
कुष्ट+++
आमवात+++
पीडिका++++
ग्रंथि++++
गलगंड++++
वर्ण्य++++
शोथ हर++
स्वर उत्तम कारक+++++
अश्मरि+++
वात रक्त+
शोफ+
कंडू+
वमन+
धातुवर्धक++
मेध्या+
आर्तवकर+
वली+
पलित+
दृष्टि वर्धक+
गुल्म+
ओज वर्धक+
हृदय रोग+
आनाह+
भूत बाधा+
विसर्प+

Other Varieties :-

कर्म (कण)रा. नि.
शूल+
गुल्म+
उदर रोग+
कफ रोग+
आधमान+
कर्म ( भूूमिज )रा. नि.
पार्वती का प्रिय+
भूत बाधा नाशक+
बुद्धि वर्धक+

Properties according to colour :-

रंगगुण
कृष्णरक्त पित्त
पिंगलकफ पित्त
श्वेतवात पित्त

गूगल (gugulu) शोधन :-

त्रिफला व गुडुची लेकर 8 गुने पानी में आधे बचने तक क्वाथ बनाए ➡️ उसमे गूगल की पोटली बांधकर लटकाए ➡️ मंद अग्नि ➡️ हिलाते रहें ➡️ जब तक सरा गूगल क्वाथ में न आजाए ➡️ पोटली फेक दे ➡️ थोड़ा घी डाल दे ➡️और गूगल को अग्नि पर सक्त होने दे।

उपयोग :-

  • कर्ण दुर्गन्ध :- गूगल धूप से लाभ
  • उदर रोग :- 3 माह दूध व केवल गूगल उपयोग से लाभ
  • वात व्याधि :- गूगल का रसायन विधि से सेवन
  • मेद रोग :- गूगल का रसायन विधि से सेवन
  • वात रक्त :- गूगल का रसायन विधि से सेवन
  • विद्रधी :- गोमूत्र के साथ गूगल से लाभ
  • शोथ :- गूगल का सेवन गोमूत्र के साथ 1 मह में लाभ
  • नाड़ी वर्ण :- गोमूत्र में पीसकर लेप

Part used :-

गोंद निर्यास

मात्रा :-

125-250 mg

7 दिनप्रथम मात्रा
15 दिनपरम मात्रा
1 वर्षविष ( स्थवर व जंगम ) का कोई असर नहीं होता

गूगल ( gugulu) अनुपान व दोष :-

अनुपानकर्म
रसवात विकार शामक
दूधपित्त विकार शामक
गोमूत्रकफ विकार शामक
ब्रह्मीमेधा
शंख पुष्पस्मृति

Things to be avoided with gugulu :-

  • अम्ल रस
  • तीक्ष्ण
  • अजीर्ण कारक
  • मैथुन
  • परिश्रम
  • धूप लेना
  • शराब पीना
  • क्रोध करना

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