काञ्चनार गुग्गुल (Kanchnar guggulu) एक आयुर्वेदिक औषधि है। यह दवा गोलियों यानी टेबलेट के रूप में बनाई जाती है।
काञ्चनारत्वचो ग्राह्यं पलानां दशकं बुधैः।।
त्रिफला षट्पला कार्य त्रिकटु स्यात् पल त्रयम् ।
पलैकं वरुणं कुर्यादेलात्वक्पत्रकं तथा।
एकैकं कर्षमात्रं स्यात् सर्वाण्येकत्र चूर्णयेत्।
यावच्चूर्णमिदं सर्व तावन्मात्रस्तु गुग्गुलुः।।
सङ्कट्य सर्वमेकत्र पिण्डं कृत्वा च धारयेत्।
गुटिकाः शाणिकाः कार्याः प्राताह्या यथोचितम्।।
गण्डमालां जयत्युग्रामपचीमर्बुदानि च।
ग्रन्थि व्रणांश्च गुल्मांश्च कुष्ठानि च भगन्दरम्।।
प्रदेयश्चानुपानार्थ क्वाथो मुण्डतिकाभवः।
क्वाथ खदिरसारस्य पथ्याक्वाथोष्णकं जलम्।। (शा. सं. मं 7/95-100)
सामग्री /Ingredients:-
कांचनार की छाल (Bauhinia variegata) | (40 तोला ~ 400g) |
त्रिफला – हरीतकी, विभीतकी व आमलकी (Terminalia chebula Terminalia bellirica Phyllanthus emblica) | (24 तोला ~ 240g) |
त्रिकटु – सोंठ, मरीच व पिप्पली (Zingiber officinale Piper nigrum Piper longum) | (12 तोला ~ 120g) |
वरुण की छाल (Crataeva nurvala) | (4 तोला ~ 40g) |
इलायची (Elettaria cardamomum) | (1 तोला ~ 10g) |
दालचीनी (Cinnamomum zeylanicum) | (1 तोला~ 10g) |
तेजपत्र (Cinnamomum tamala) | (1 तोला~ 10g) |
गुग्गुलु (Commiphora wightii/ Commiphora mukul) |
विधि:-
सभी द्रव्यों को कूटकर कपड़ छन चूर्ण बनाकर उसमें सम भाग शुद्ध गुग्गुलु मिला दें। इन सबको कूटकर घी या एरंड तेल मिलाकर 3-3 रत्ती (375mg) की गोलियां बना लें।
मात्रा व अनुपान:-
2-4 गोली सुबह-शाम।
कांचनार की छाल, वरुण की छाल अथवा खैरसार की छाल के बुरादे का क्वाथ बनाकर इनके साथ दें / गरम जल से दे।
यदि विशेष लाभ नहीं हो तो उसके साथ सुवर्ण भस्म (15mg) व प्रवाल पंचामृत मिलाकर (375mg) दें।
गुण व उपयोग-
- यह (Kanchnar guggulu) गलगण्ड (Goitre), गण्डमाला, अपची, ग्रन्थि (Cyst), अर्बुद (tumour), व्रण (Wound), गुल्म, कुष्ठ (skin disease) व भगन्दर आदि रोगों में लाभ।
- विशेष रूप से ग्रन्थि नाशक – वातकफ जन्य (Cyst)