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पंचकर्मों के योग्य व अयोग्य – ( Logistic tricks )

1. स्वेदन

स्वेदन के योग्य

  • As we know, steaming cures cold so including- कास, प्रतिश्याय, हिक्का, श्वास (प्राणवह स्त्रोतस), अंग गौरव, गुरूता, स्तम्भ, सुप्रिया, शैत्य, सर्वांगजाडय
  • स्वेदन gives relief in शूलकर्णशूल, मन्याशूल, शिरः शूल, जानुशूल, उरुशूल, जंघा शूल, कुक्षिशूल, अंगशूल।
  • It gives relief in वात व्याधि – अर्दित, गृध्रसी, एकांगवात, सर्वांगवात, पक्षाघात, कम्पवात, खल्लीरोग, वातकण्टक, आयाम।
  • It removes ग्रह – गलग्रह, पार्श्वग्रह, पृष्ठग्रह।
  • पंचकर्म पूर्व – वमन पूर्व, विरेचन पूर्व, बस्ति पूर्व, नस्य पूर्व।
  • Some other diseasesमूत्राघात, आनाह, विबंध, जृम्भा, आमदोष, मूढ़ गर्भ, अर्बुद, ग्रन्थि, शोथ
  • पूर्व व पश्चात – अश्मरी, अर्श, भगन्दर

स्वेदन के अयोग्य –

  • Commonly included- गर्भिणी, श्रान्त, तृषित, क्षुधित, क्रुद्ध, शोकग्रस्त, दुर्बल
  • It is contraindicated in some पित्तज रोग – पित्त प्रकृति, अतिसारी, रक्तपित्त रोगी, पित्तमेही, कामला, कषायसेवी, पाण्डु रोग
  • Others – विष पिड़ित, उदर रोग, विदग्धगुद, भ्रष्टगुद, नष्टसंज्ञ, उरःक्षत, तिमिर, अजीर्ण, वातरक्त, ओजक्षय, रुक्ष देह।

2. वमन

◾वमन के योग्य –

  • चरक चिकित्सा अध्याय – 3,6,7,8,9,10,12,19 नवज्वर, प्रमेह, कुष्ठ, राजयक्ष्मा, उन्माद, अपस्मार, शोथ, अतिसार।
  • 4 अ – अजीर्ण, अरुचि, अविपाक, अपची
  • कफ प्रधान – पीनस, कास, गलग्रह, श्वास, मन्दाग्नि, मुख प्रसेक, हृल्लास।
  • 8 वि – विषपीत, विरुद्धाहार, विसर्प, विसूचिका, विदारिका, विद्रधि, विभ्रम, दग्धविद्ध।
  • Others- अधोरक्तपित्त, श्लीपद, गलगण्ड, पाण्डु, हृदय रोग, पूतिनाश, कण्ठपाक, कर्ण स्त्राव, अधिजिह्विका, गलशुण्डिका।

◾वमन के अयोग्य –

  • Commonly included- गर्भिणी, श्रान्त, तृषित, क्षुधित, क्रुद्ध, शोकग्रस्त, दुर्बल, बाल, वृद्ध, मैथुन, व्यायाम या चिन्ता प्रसक्त।
  • शूलअक्षिशूल, कर्ण शूल, शंख शूल, शिर शूल।
  • कर्म हत, भार हत, अध्व हत
  • दुश्छर्दन, प्रसक्त छर्दन, उर्ध्व रक्तपित्त।
  • Others- मूत्राघात, प्लीहा दोष, क्षतक्षीण, हृदय रोग, उदावर्त, गुल्म, उदर, अष्ठिला, तिमिर, अर्श, वात व्याधि, पार्श्वरुक्।

3. निरूह बस्ति

◾निरूह बस्ति के योग्य –

  • निरूह बस्ति relieves शूलशिर शूल, कर्णशूल, नितम्ब शूल, जानू शूल, जंघाशूल, उरूशूल, गुल्फ शूल, योनिशूल, बाहुशूल, अंगुली शूल, दंतशूल, नखशूल, पर्वशूल, अस्थि शूल।
  • Cures संग (जकड़ाहट) – वात संग, मल संग, मूत्र संग, शुक्र संग।
  • ग्रह – हृदय ग्रह, पार्श्व ग्रह, पृष्ठ ग्रह, कटि ग्रह।
  • वातज रोग – सर्वांग रोग, एकांग रोग, पर्वभेद, कम्प, आक्षेप, विषमाग्नि, अंग सुप्ति।
  • Others- कुक्षि रोग, आध्मान, कृमि कोष्ठ, उदावर्त, प्लीहा रोग, गुल्म, ब्रघ्न, परिकर्तिका, रजः क्षय, हृदय रोग, भगन्दर, उन्माद।
  • वात व्याधि

◾निरूह बस्ति के अयोग्य –

  • Commonly included- श्रान्त, तृषित, क्षुधित, क्रुद्ध, शोकग्रस्त, दुर्बल, मैथुन, व्यायाम या चिन्ता प्रसक्त।
  • अवस्था – अजीर्ण, भुक्तभक्त (खाना खाकर), सूतिका, हिक्का प्रसक्त, श्वास प्रसक्त, पीतस्नेह, अतिस्निग्ध, अल्पाग्नि, मूर्च्छित, वमित, अतिदुर्बल, पीतोदक।
  • रोग – प्रमेह, कुष्ठ, छिद्रोदर, विसूचिका।

4. अनुवासन बस्ति

◾अनुवासन बस्ति के योग्य व अयोग्य निरूह बस्ति के समान हैं।

5. नस्य

◾नस्य के योग्य –

  • उर्ध्व जत्रुगत विकार – शिरो रोग, दन्त रोग, दन्त शूल, हनुग्रह, तिमिर, वर्त्म रोग, स्वर भेद।
  • ग्रीवा, कंधा, अंस, मुख, नासिका, कान, नेत्र व शिरः कपाल के रोग।
  • कुछ वात व्याधियां – मन्यास्तम्भ, अर्द्धावभेदक, अर्दित, अपतंत्रक, अपतानक।
  • शोथ – गलशुण्डिका, गलशालूक, उपजिह्विका
  • Others- अर्बुद, वाक् ग्रह, गदगद वाक्य, शिरः स्तम्भ।

◾नस्य के अयोग्य –

  • Commonly included- गर्भिणी, श्रान्त, तृषित, क्षुधित, क्रुद्ध, शोकग्रस्त, दुर्बल, बाल, वृद्ध, मैथुन, व्यायाम या चिन्ता प्रसक्त।
  • अवस्था – अजीर्ण, भुक्तभक्त (खाना खाकर), शिरस्नान, हिक्का प्रसक्त, श्वास प्रसक्त, पीतस्नेह, अतिस्निग्ध, अल्पाग्नि, मूर्च्छित, वमित, रक्तविस्त्रावित अतिदुर्बल।
  • दुर्दिन व अकाल।

6. रक्त मोक्षण

◾रक्त मोक्षण के योग्य –

  • Skin diseases- कुष्ठ, विसर्प, दद्रु, चर्मदल, श्वित्र, पामा, तिलकालक, निलीका, पिडिका, व्यंग, कण्डु।
  • रक्त दुष्ट – रक्तपित्त, रक्तमेह, वातरक्त।
  • पित्त दुष्टि – कामला, मुखपाक, गुदपाक, अम्लउद्गार, कटु उद्गार।
  • Others- अरुचि, गुरुगात्रता, असृग्दर, अर्श, प्लीहा दोष, अर्बुद, गुल्म, अग्निमांद्य, अक्षिरोग, विद्रधि, पिपासा।

◾रक्त मोक्षण के अयोग्य –

  • गर्भिणी, दुर्बल, अर्श, शोथ, पाण्डु, उदर।

7. विरेचन

◾विरेचन के योग्य –

  • चरक चिकित्सा अध्याय – 3,4,6,7,9,10,12,13,14 – ज्वर, उर्ध्व रक्तपित्त, प्रमेह, कुष्ठ, उन्माद, अपस्मार, शोथ, उदर, अर्श।
  • विसर्प, पाण्डु, हलीमक, कामला, नेत्रदाह, मुखदाह, व्यंग, नीलिका।
  • Others- अर्बुद, गलगण्ड, ग्रन्थि, विसूचिका, अलसक, मूत्राघात, शूल, उदावर्त, हृदय रोग, कास, श्वास, अपची, वातरक्त, योनि दोष, शुक्र दोष, तिमिर, अरोचक, वमन

◾विरेचन के अयोग्य –

  • Commonly included- गर्भिणी, श्रान्त, तृषित, क्षुधित, क्रुद्ध, शोकग्रस्त, दुर्बल, बाल, वृद्ध, मैथुन, व्यायाम या चिन्ता प्रसक्त।
  • क्षतगुद, मुक्तनाल, अधो रक्तपित्त, वंचित, मन्दाग्नि, अजीर्ण, नवज्वर, मदात्यय, आध्मान, अतिस्निग्ध, अतिरुक्ष, उरःक्षत।
  • राज्यक्ष्मा, अतिसार, हृद् रोगी

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