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Ras Shastra Syllabus

Pittal ( पित्तल ) – Brass : Dhatu Vargha

नाम :-

संस्कृतपितलम्
हिन्दीपीतल
EnglishBrass

पर्याय :-

  • पित्तल
  • पीतलौह
  • कपि लौह
  • रितिका
  • आरकूट
  • आर
  • रीति
  • राजरीति
  • पिङ्गला
  • कपिला।

History :-

Copper + Zinc ➡ Brass alloy (Pittal)

परिचय :-

2 part of copper + 1 part of zinc

गरमूषा में रखकर प्रखराग्नि द्वारा धमन कर

पिघलाने पर लौह प्लेट में डालने पर

उत्तम पीतवर्ण का पित्तल (Brass alloy) तैयार हो जाता है।

It is also called updhatu of Tamra and Zinc.

Types of Pittal (पित्तल):-

  1. रीतिका पित्तल
  2. काकतुण्डी पित्तल

पित्तल को ➡कांजी में बुझाने पर ➡ रक्तवर्ण का होना= रीतिका पित्तल

पित्तल को ➡कांजी में बुझाने पर➡कृष्णवर्ण का होना = ककतुण्डी पित्तल

ग्राह्य पित्तल के लक्षण :-

  • जो पित्तल (Pittal) वज़नदार, मुलायम, पीतवर्ण,
  • पीटने पर फैलने वाला, दृढ, स्पर्श में स्निग्ध और मसृण हों, वह औषध कार्य में ग्राह्य होता है।

अग्राह्य पित्तल के लक्षण :-

  • जो पित्तल (Pittal) पाण्डु आभायुक्त पीतवर्ण, खर, रूक्ष,
  • कालिमायुक्त, भंगुर, दुर्गन्धयुक्त तथा भार में हल्का हो, वह औषध कार्य में त्याज्य होता है।

पित्तल का शोधन :-

तैल तक्रादि से शोधित ➡ पित्तल के पतले-पतले पत्रों को प्रतप्त कर➡ हरिद्राचूर्णयुक्त निर्गुण्डी स्वरस में➡ 5 बार बुझाने पर पित्तल (Pittal) की उत्तम शुद्धि हो जाती है।

पित्तल का मारण :-

समान भाग मनःशिला एवं गन्धक ➡ नींबू के रस में पीसकर

पिष्टी बनाकर शुद्ध पित्तल के तनुपत्रों पर लेप कर सुखायें

फिर शराव सम्पुट में रखकर अर्धगजपुट में पाक करें

इस प्रकार आठ पुट में पित्तल की उत्तम भस्म बन जाती है। (ताम्र भस्म बनाने की विधि के अनुसार पित्तल की भस्म बनायें।)

पित्तल भस्म की मात्रा :-

1/2 से 1 रत्ती।

अनुपान :-

मधु, घृतादि के साथ।

पित्तल भस्म गुण :-

रीतिका पित्तल भस्म :

  • रस – तिक्त,
  • वीर्य – उष्ण एवं
  • गुण – रुक्ष
  • यह जन्तुघ्नी, रक्तपित्त, रक्तविकार, कृमि, कुष्ठादि रोगों को दूर करती है।

काकतुण्डी पित्तल भस्म :

  • रस – तिक्त
  • उष्ण, रूक्ष, कफ पित्त नाशक,
  • यकृत प्लीहा रोग नाशक एवं शीतवीर्य होती है।

अपक्व पित्तल भस्म सेवन से हानि :-

  • भ्रम, अर्श, भगन्दर,
  • प्रमेह, ज्वर एवं मृत्यु को देने वाली होती है।

प्रमुख योग :-

  • पित्तल रसायन
  • षडानन रस
  • मेघनाद रस
  • रत्नप्रभा वटी
  • स्वर्णसिन्दूर रस

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