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Singhnad Guggulu | सिंहनाद गुग्गुलु : Ingredients, Dosage, Uses

सिंहनाद गुग्गुलु (Singhnad guggulu) एक आयुर्वेदिक औषधि है। यह आमवात की श्रेष्ठ औषध मानी जाती है।

पल त्रयं कषाचस्य त्रिफला याः चूर्ण।सौगन्धिकपल ेक कौशिकस्य पलं तथा।कडवं चित्रतैलस्य सर्वमादाय यत्नतः।पाचयेत्याकविदेशः पात्रे लौहमये दृदे।।हन्ति वात तथा पित्तं श्लेष्मार्ण खज पहनता श्वास सुदुर्जयं हन्ति का्स पविधं तथा।। कुष्ठानि वातरक्तानि गुल्मशूलोदराणि चा आमवात जयदेतदपि वैद्य विवर्जितम्।। ( भै. र. आमवात 130-133 )

सामग्री / Ingredients:-

त्रिफला चूर्ण
(Terminalia chebula
Terminalia bellirica
Phyllanthus emblica
)
11 तोला ~ 110g
शुद्ध गन्धक
(Sulphur)
1 तोला ~ 10g
शुद्ध गुग्गुल
(Commiphora mukul)
3 तोला ~ 30g
एरण्ड तैल
(Castor oil)
1 तोला ~ 10g

विधि:-

  • कपड़छन किए हुए त्रिफला चूर्ण मेें शुद्ध गन्धक मिलाकर एरण्ड तैल मिला दें।
  • गुग्गुल को गर्म जल में घोलकर व छानकर इस मिश्रण में मिला दें।
  • इमामदस्ते में इन्हें खूब कूटें।
  • अधिक कूटाई से यह गुणकारी होता है।
  • अब 3-3 रत्ती की गोलियां बना लें।

ग्रन्थ में एरण्ड तैल का परिमाण अधिक है परन्तु इससे गोलियां बनाने में अत्यन्त कठिनाई होती है।

Singhnad guggulu
Singhnad guggulu

मात्रा व अनुपान:-

1-1 गोली सुबह-शाम दुग्ध अथवा गरम जल के साथ।

गुण व उपयोग:-

  • इस गुग्गुलु (Singhnad guggulu) के प्रयोग से वातरक्त, गुल्म, शूल, उदर, कुष्ठ तथा आमवात रोग का नाश होता है।
  • नियमित सेवन करने से आमवात, पक्षाघात व संधिवात आदि रोगों में लाभ मिलता है।
  • आमवात की श्रेष्ठ औषध मानी जाती है।

द्वितीय सिंहनाद गुग्गुल

विधि-

मात्रा व अनुपान- इस गुग्गुल को 2 माशे (12 रत्ती) की मात्रा में उष्णोदक सहित लें।

गुण व उपयोग- यह गुग्गुल आमवात, शूल युक्त संधिवात, शिरोगत वात, जानुगत वात, कटि स्थित वात, अर्श रोग, विषम ज्वरजन्य व्यथा, प्रमेह, कुुुुष्ठ, भगन्दर, शिरोरोग व वातकफ रोगों को नष्ट करता है।

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