वमन तथा विरेचन के पश्चात् संसर्जन क्रम अथवा तर्पणादि क्रम / Sansarjan and Tarpanaadi Kram (कोष्ठ व दोष का विचार कर) का पालन करना चाहिए। संशोधनास्त्रविस्त्रावस्नेहयोजनलङ्घनैः।। यात्यग्निर्मन्दतां तस्मात् क्रमं पेयादिमाचरेत् । (अ. हृ. सू. १८/४५) संशोधन, रक्तमोक्षण, स्नेहपान और लंघन इन कार्यों से अग्नि मंद हो जाती है, इसलिए पेया-विलेपी आदि के क्रम (Sansarjan and […]
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शब्द उत्पत्ति – वि + रिच् + णिच् + ल्युट् । ‘विरेचन’ (Virechan) का अर्थ है – मलादि को निष्कासित करना। आचार्य चरकानुसार :- तत्र दोषहरणमूर्च्व भागं वमन संज्ञकम, अधोभाग विरेचन संज्ञक; उभयं वा शरीरमलविरेचनाद्विरेचन संज्ञा लभते।। (च॰ क॰ अ॰ १/४) What is Virechan ? अधोमाग (गुदा) से दोष-हरण की क्रिया को विरेचन (Virechan) संज्ञा […]
1. स्वेदन ◾ स्वेदन के योग्य – As we know, steaming cures cold so including- कास, प्रतिश्याय, हिक्का, श्वास (प्राणवह स्त्रोतस), अंग गौरव, गुरूता, स्तम्भ, सुप्रिया, शैत्य, सर्वांगजाडय। स्वेदन gives relief in शूल – कर्णशूल, मन्याशूल, शिरः शूल, जानुशूल, उरुशूल, जंघा शूल, कुक्षिशूल, अंगशूल। It gives relief in वात व्याधि – अर्दित, गृध्रसी, एकांगवात, सर्वांगवात, […]
1. वमन ◾सम्यग योग लक्षण – क्रमात कफः पित्तमथानिलश्च यस्यैति सम्यक् वमितः स इष्टः। हत्पा्श्वमर्धेन्द्रियमार्गशुद्धौ तथा लघुत्वेऽपि च लक्ष्यमाणे॥ (च. सि. 1/15) निर्विबंध प्रवर्तन्ते कफपित्तानिला क्रमात्। सम्यग् योगे। (अ.ह.सू. 18/25) पित्ते कफस्यानुसुखं प्रवृत्ते शुद्धेषु हत्कंठ शिरः सु चापि। लघौ च देहे कफसंस्रवे च स्थिते सुवान्तं पुरुषं व्यवस्येत्।। (सु. चि. 33/9) सम्यक् वमन में क्रम से […]
Vaman karma ( वमन कर्म ) : Panchkarma
◾वमन (Vaman) शब्द उत्पत्ति :- ‘वम’ में ल्युुट् प्रत्यय लगाने से ‘वमन‘ शब्द की उत्पत्ति होती है। ‘वमन’ (Vaman) शब्द का अर्थ है उल्टी, आमाशय स्थित द्रव का मुख मार्ग से बहिर्गमन। ◾पर्याय :- छर्दि, प्रच्छर्दन, नि:सारण, अभिष्यंदन, आहरण ◾परिभाषा :- तत्र दोषहरणमूर्ध्वभाग वमनसंज्ञकम्। (च. क. 1/4) ऊर्ध्व मार्ग द्वारा दोषों के निरहरण को वमन […]