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Yonivyapad Roga | योनिव्यापद रोग : Table with Mnemonics

Trick to learn Yonivyapad according to Charak:-

अर्चणा को दोषों से दूर, महान कर्ण के समान पुत्र के लिए उधर वाम दिशा में रहने वाले रक्त षंड से दोनों प्रकार की (अत:, सूची मुख) लुता को अति शुष्क असृजा चराना है।

  • अर्चणा – अचरणा
  • दोषों – वातकी, पेत्तकी, कफजा, सन्निपात
  • महान – महा योनि
  • कर्ण – कर्णिनी
  • पुत्र – पुत्रघ्नी
  • उधर – उदावर्तिनी
  • रक्त – रक्तयोणि
  • षंड – षंडयोनि
  • अत: – अत: मुखी
  • सूची – सूची मुखी
  • 2 प्रकार की लूता – परिप्लुता, उपप्लुता
  • शुष्क – शुष्का
  • अरजस्का – अरजस्का
  • चराना – अतिचरना

Table for Quick Revision:-

नाम Modern correlation दोषनिदानलक्षणचिकित्सा
वातला or वातिकीOestrogen deficiency or Endometriosis च०, सु०, अ०ह०=वात वात प्रकृति स्त्री द्वारा वातज आहार विहार सेवन• योनि में तोद, वेदना स्तम्भ •योनि में चींटी चलने जैसा अनुभव •ककर्शता, सुप्ता(शून्यता) •आयास (थकावट) •सशब्द, वेदना सहित, फेनयुक्त, पतला, रुक्ष, अल्प मात्रा में कृष्ण वर्ण का आर्तव स्त्राव •चक्रपाणि= वातिक प्रदर{वातनाशक चिकित्सा}
1)स्नेहन= •योनि में अभ्यंग
(वातनाशक तेल, उष्ण, स्निग्ध द्रव्य)
वस्ति, परिषेक, पिचु 2)स्वेदन= वातहर द्रव्यों के क्वाथ से नाड़ी
स्वेद 3)योनि पिचु= रास्नादि तैल
फेनयुक्त, 4) कल्क धारण 5) बस्ति= गुडुच्यादि
तैल से उत्तर बस्ति 6) घृत=
शतावर्यादि घृत
पित्तजा or पैत्तिकीAcute infection of reproductive organsच०, सु०, अ०ह०=पित्तकटु, अम्ल, लवण, क्षार अतिसेवन•योनि में दाह, पाक, उष्णता, ज्वर, पूतिगन्ध •आर्तव स्त्राव→ नील, पीत, कृष्ण वर्ण, अधिक उष्णता और सड़े हुए मुर्दे के समान गन्ध निकलती है •चक्रपाणि= पैतिक प्रदर1)रक्तपित्त नाशक, शीतल क्रिया का प्रयोग 2)शीतल, पित्त नाशक सेक, अभ्यंग, पिचु धारण 3)पित्त नाशक औषधि से सिद्ध घृत का प्रयोग 4)बस्ति= मधुर द्रव्यों से सिद्ध क्षीर से उत्तर बस्ति 5) कल्क= पंचवल्कल कल्क 6)घृत = बृहत शतावरी धृत और जीवनीय गण सिद्ध घृत
कफज or श्लैष्मिकीTrichomonas vaginitisच०, सु०, अ०ह०=कफकफ कारक पदार्थों के सेवन से•योनि में पिच्छिलता, कण्डु, शीतल, अल्प वेदना •स्त्री का शरीर पाण्डु वर्ण का •आर्तव स्त्राव→ पाण्डु वर्ण, पिच्छिल •चक्रपाणि= श्लेष्मज असृग्दर{रूक्ष और उष्ण चिकित्सा} 1)बस्ति = कटु प्रधान द्रव्यों + गोमूत्र से बस्ति 2)कल्क= श्यामा कल्क 3)वर्ति= पिप्पली, मरिच आदि से निर्मित प्रदेशिनी अंगुली सदृश वर्ति का प्रयोग
त्रिदोषज or सन्निपातजInfection of reproductive organs त्रिदोषसभी प्रकार के रसों का एक साथ अधिक सेवन•दाह •शूल •श्वेत, पिच्छिल आर्तव स्त्राव •चक्रपाणि= सन्निपातज प्रदरसभी दोषों में वर्णित सामान्य क्रिया
रक्तजा or असृजा, अप्रजा, रक्तयोनिDysfunctional uterine bleeding (DUB)च०,अ०ह०=पित्त सु०= ×रक्त, पित्त वर्धक आहर विहार का सेवन•पित्त से दूषित गर्भाशय स्थित रक्त, गर्भ की उपलब्धि के बाद भी अत्यधिक मात्रा में रक्त स्त्राव होता है।•दोषानुसार रक्तस्थापन चिकित्सा •काश्मरी, कुटज के क्वाथ से सिद्ध घृत से उत्तर बस्ति
अरजस्का or लोहितक्ष्या2° Amenorrhea due to TB or Anemia due to excessive menstrual bleeding च०,अ०ह०=पित्त सु०= ×रक्त, पित्त वर्धक आहर विहार का सेवन•स्त्री अतिकृश और विवर्ण •चक्रपाणि= अनार्तव लक्षण •रज का क्षय•काश्मरी, कुटज के क्वाथ से सिद्ध घृत से उत्तर बस्ति •जीवनीय गण की औषधियों से सिद्ध दुग्ध का पान
अचरणाConstitutional Nymphomania or Infertility due to sexual incompatibility च०=वात सु०=कफ अ०ह०=विप्लुता (वात)योनि प्रदेश की सफाई न करने से उत्पन्न कृमि•योनि में कण्डु •स्त्री पुरुष की अधिक इच्छा •स्त्री मैथुन के समय पुरुष से पहले थक जाती है। •गर्भ में बीज स्थित नहीं होता है।•स्नेहन, स्वेदन, वातनाशक आहार का प्रयोग •स्नेह पिचु धारण •जीवनीय गण से सिद्ध तैल से उत्तर बस्ति •वर्ति
अतिचरणाVaginal inflammation due to excessive coitus associated with infertility च०=वात सु०=कफ अ०ह०=वातअतिमैथुन करने से वायु प्रकुपित•योनि में शोफ, वेदना, शून्यता •बीज का धारण नहीं होता•वातशामक तैल से आस्थापन और अनुवासन बस्ति •वातनाशक द्रव्यो से स्वेदन •उपनाह और आहार→वातशामक, स्निग्ध •जीवनीय गण से सिद्ध तैल से उत्तर बस्ति
प्राक्चरणाच०,अ०ह०=वात सु०= ×अतिबाला के साथ मैथुन से वात प्रकुपित•पृष्ठ, कटि, ऊरू, वंक्षण में वेदना •योनि दूषित हो जाती हैSame as above
उपप्लुताMonilial vulvovaginitisच०,अ०ह०=वातकफ सु०= ×गर्भिणी द्वारा कफवर्धक आहार विहार सेवन + छर्दि, श्वास का वेगधारण•पाण्डु वर्ण का तोद सहित स्राव or श्वेत वर्ण कफ का स्त्राव •कफ और वात से होने वाली व्याधियाँ•वातनाशक आहार का प्रयोग • संतर्पण चिकित्सा→स्नेहन, स्वेदन, स्नेह पिचु धारण
परिप्लुताPelvic inflammatory disease (PID)च०,अ०ह०=वातपित्त सु०= वातपित्त प्रकृति वाली or पित्तवर्धक आहार विहार सेवन से + मैथुन के समय छींक, डकार का वेगधारणज्वर •योनि में शोथ •स्पर्श से वेदना •पृष्ठ, कटि, वंक्षण में वेदना के साथ नील पीत रक्तस्राव•वातशामक चि० •वातहर स्नेह से योनि पिचु धारण •वातहर द्रव्यो से स्वेदन •तर्पण कर्म
उदावर्तिनी or उदावर्ता or उदावृत्ता(1°) Spasmodic dysmenorrhoea or Endometriosis च०, सु०, अ०ह०=वात वेगों को रोकने से→वायु ऊपर की ओर हो जाती है→योनि भी ऊपर की ओर→रज उर्ध्वगामी•रज अधिक कठिनता से निकलता है •योनि में वेदना •आर्तव के निकल जाने पर वेदना शान्त•त्रैवृत्त (तैल, घृत, वसा) से स्नेहन, अनुवासन, उत्तर बस्ति •क्षीर से स्वेदन •दशमूल से सिद्ध दुग्ध से बस्ति •वातनाशक चि०
कर्णिनीCervical erosion or Cervical fibroid or Polypoidal fibroid च०,अ०ह०=वातकफ सु०= कफगर्भिणी द्वारा अकाल (आवी की अनुपस्थिती) में प्रवाहण करने सेयोनि में कार्णिका (अंकुर) उत्पत्ति •चक्रपाणि= कर्णिकाकार ग्रन्थि •रजोमार्ग का अवरोध करती है•कफनाशक चि० •शोधन द्रव्यो से निर्मित वर्ति योनि में धारण •जीवनीय द्रव्य से साधित स्नेह से उत्तर बस्ति
पुत्रद्य्नी or जातघ्नीRecurrent abortion च०,अ०ह०=वात सु०=पित्त (becoz रक्तस्त्राव→गर्भनाश)•रुक्ष आहार विहार से प्रकुपित वात •रक्तस्त्राव (सु०)•स्थित गर्भ का बार-बार नाश•काश्मरी, कुटज के क्वाथ से सिद्ध घृत की उत्तर बस्ति •फल घृत का प्रयोग •प्रजास्थापन गण के द्रव्यों का प्रयोग •वातनाशक चि० •त्रैवृत्त से स्नेहन, अनुवासन, उत्तर बस्ति
अन्तर्मुखीRetroverted and retroflexed uterusच०,अ०ह०=वात सु०= ×अतितृप्त स्त्री के द्वारा विषम अंग में शयन कर मैथुन करने से, अन्न द्वारा पीड़त वायु•योनि
मुख का वक्र (टेढ़ा) होना •योनि में अत्यधिक वेदना
•आस्थि एवं मांस में वेदना
•मैथुन को न सहने वाली
•वातनाशक चि०
सूचीमुखी or सूचिवक्त्रा Congenital pin hole cervixच०,अ०ह०=वात सु०= सन्निपातजमाता द्वारा गर्भावस्था में वातप्रकोपक आहार विहार से प्रकुपित वात•योनि दूषित
•द्वार सूक्ष्म/ अणु होना
•योनि का मुख संकुचित होना
•वातनाशक चि० •अंगुली से योनि मुख का विदारण
शुष्काPerimenipausal syndromeच०,अ०ह०=वात सु०= ×मैथुन काल में वेगधारण से प्रकुपित वात•मल एवं मूत्र का सङ्ग •योनि मुख का शोषण •नष्टार्तव के लक्षण•वातशामक चि० •जीवनीयगण से सिद्ध तैल से उत्तर बस्ति •शुद्ध स्नाता का नस्य देने से→योनि शोष→ जीवनीय गण से सिद्ध दुग्ध का पान
वामिनीAbortion due to implantation failure or Effluvium seminisच०=वातपित्त सु०=कफ/ सन्निपातज अ०ह०=वातगर्भाशय में गया शुक्र का 7 दिन में वेदना सहित or without वेदना, योनि से स्त्राव होना •सु०=आर्तव मिश्रित शुक्र का वात के साथ वमन होना•वातनाशक आहार विहार •संतर्पण चि०, स्नेहन स्वेदन कर स्नेह पिचु धारण •स्वेद-तर्पण-स्नेह पिचु धारण
षण्ढीCongenital absence of gonadotrophic hormone or Chromosomal abnormalityच०,अ०ह०=वात सु०= सन्निपातजमाता-पिता के बीज के कारण गर्भस्थ बालिका का गर्भाशय, प्रकुपित वायु से विकृत हो जाता है•पुरुष से द्वेष करने वाली •स्तन रहित •चि० के अयोग्य/ असाध्य •नपुंसक स्त्री के लक्षण •मैथुन में खरस्पर्श वाली
महायोनि or महती or विकृता3° uterine prolapse or Procidentiaच०,अ०ह०=वात सु०= सन्निपातजनीची, ऊँची, विषम शय्या पर मैथुन करने से प्रकुपित वायु•गर्भाशय और योनि मुख को जकड़ लेती है •योनि मुख सर्वथा खुला रहता है •रुक्ष, फेन युक्त वेदना रहित आर्तव स्त्राव •योनि के मुख का मांस ऊँचा •पर्व & वंक्षण प्रदेश में शूल •कण्डु •वेदना•वातशामक चि० •त्रैवृत्त से स्नेहन, अनुवासन, उत्तर बस्ति •क्षीर से स्वेदन
विप्लुतासु०=वातकृमि उत्पत्ति•योनि में कण्डु •वेदनाअचरणा के समान चि०
लोहितक्षरासु०=पित्त•दाह सहित रक्त का क्षरण (धीरे-धीरे टपकना) • अन्य पित्त के लक्षण(असृजा के समान चि०) •दोषानुसार रक्तस्थापन चि० • काश्मरी, कुटज के क्वाथ से सिद्ध घृत की उत्तर बस्ति
बन्ध्या1° Amenorrhea with congenital abnormalities of uterus & ovaries सु०=वात•आर्तव नष्ट हो जाता है •वेदना
प्रस्त्रंसिनी1°, 2° uterine prolapse सु०=पित्त•योनि में संचालन होना •कष्ट से प्रसव होना •पित्त दुष्टि के अन्य लक्षण•बस्ति कर्म एवं स्वेदन का बार-बार प्रयोग •बला तैल से अनुवासन एवं उत्तर बस्ति •लघु फल घृत का प्रयोग
अत्यानन्दाNymphomaniaसु०=कफ•स्त्री को मैथुन से संतोष नहीं होता •पिच्छिलता, कण्डु
फलिनीCystocele or rectoceleसु०=सनिपातजतरुणी स्त्री का अतिकाय वाले पुरुष (multiple partners) से संभोग•सन्तान रहित •सभी दोष के लक्षण

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