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Yogendra Ras | योगेन्द्र रस : Ingredients, Benefits, Uses

योगेन्द्र रस (Yogendra Ras) आयुर्वेदिक औषधियों में एक उत्कृष्ट और वीर्यवान वातशामक औषध है। यह विशेषतः ह्रदय, मस्तिष्क, वातवहानाड़ियाँ, मन और रक्त पर अपना प्रभाव दर्शाता है। इसके सेवन से वातवहानाड़ियाँ सबल होती है; अतः जीर्ण (पुराना) वातविकार के साथ पित्त प्रकोपजन्य दाह (जलन), व्याकुलता, निद्रानाश, मुखपाक (मुंह में छाले), अपचन आदि लक्षण हो, तब विशेष लाभदायक है। जीर्ण वातविकार, अपस्मार और उन्माद आदि रोगों […]

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Anand Bhairav Ras | आनन्दभैरव रस : Benefits, Uses, Dosage

आनंद भैरव रस (Anand Bhairav Ras) बहुत ही प्रचलित आयुर्वेदिक औषधि है इसका उपयोग ज्वर (Chronic Fever), अतिसार (Diarrhoea), आमवात (Rheumatoid arthritis), जुकाम (Common cold), खांसी (Cough) आदि में करना चाहिए। हिंगुलञ्च विषं व्योषं मरिचं टंकणं कणा। जातिकोषसमं चूर्णं जम्बीरद्रवमर्दितम्।। रक्तिमानां वटीं कुर्यात् खादेदार्द्रकसंयुताम्।। (र. सा. सं. ज्वर/ 104-105) घटक द्रव्य/ Ingredients:- (1) शुद्ध हिंगुल […]

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Chandramrit Ras | चन्द्रामृत रस – Ayurvedic medicine

चंद्रामृत रस (Chandramrit Ras) एक आयुर्वेदिक औषधि है जो मुख्य रूप से सर्दी, खांसी, जुखाम, बुखार, दमा (Asthma), श्वास एवं ब्रोंकाइटिस जैसे रोगों में मुख्य औषधि के रूप में प्रयोग की जाती है । इस औषधि में शुद्ध गंधक एवं शुद्ध पारद का मिश्रण होता है जिस कारण इस औषधि को बहुत ही कम मात्रा […]

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Pratap Lankeshwar Ras | प्रताप लङ्केश्वर रस : Uses and Benefits

प्रताप लंकेश्वर रस (Pratap Lankeshwar Ras)– एक आयुर्वेदिक औषधि है जो मुख्य रूप से प्रसव के उपरांत महिलाओं में उत्पन्न होने वाली विभिन्न समस्याओं एवं रोगों में प्रयोग की जाती हैै। इसका उपयोग पुराने बुखार, निमोनिया, मानसिक आघात, अतिसार (दस्त) आदि रोगों के उपचार में किया जाता है। प्रतापलङ्केशवर एष पश्य प्रतापमत्यत्र निजप्रतापात्। गदान् धनुर्वातमुखानशेषान् […]

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Chandraprabha Gutika | चन्द्रप्रभा गुटिका : Uses, Benefits

चन्द्रप्रभा गुटिका (Chandraprabha Gutika) को चन्द्रप्रभा वटी भी कहा जाता है। इसके नाम से ही इसकी उपयोगिता का पता चलता है। ‘चन्द्र‘ यानी चंद्रमा, ‘प्रभा‘ यानी उसकी चमक, अर्थात् चंद्रप्रभा वटी के सेवन से शरीर में चंद्रमा जैसी कांति या चमक और बल पैदा होता है। इसलिए शारीरिक कमजोरी पैदा करने वाली लगभग बीमारियों में […]

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Garbhpal Ras | गर्भपाल रस : Ingredients, Benefits, Uses

गर्भपाल रस (Garbhpal ras) एक आयुर्वेदिक औषधि है जो मुख्य रूप से गर्भवती महिलाओं एवं महिला के गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के लिए ही जीवनी शक्ति के रूप में प्रयोग की जाती है । जैसा कि इस औषधि के नाम से ही पता चलता है कि यह औषधि गर्भ को पालने वाली अर्थात […]

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Vyadhishardul Guggulu | व्याधिशार्दूलगुग्गुलु Ingredients, Benefits

त्रिफलायाः पलान्यष्टी प्रत्येकं बीजवर्जितम् । कटुतैलं द्विपलं च गुग्गुलुं दोलाशोधितम् ॥१६८॥ साद्धांढकजले पक्त्वा पादशेरषं पुनः पचेत् चूर्णीकृत्य क्षिपेत्सिद्धे पृथक्कर्षाद्दसम्मितम् ॥१६९। त्रिकटुत्रिफलामुस्तं विडङ्गामलकानि च गुइच्यग्नित्रिवृद्न्ती चवीशूरणमाणाकम् ॥१७०। सार्ध्दशतदव्यं दद्याच्चुर्णितं कानकं फलम् रसगन्धकलौहाभ्रं प्रत्येकं कर्षसम्मितम्॥१७२। ततो माषद्वयं जग्ध्वा प्रातरुष्णोदकं पिबेत् । अग्निं च कुरुते दीप्तं वयोबलविवर्द्धनम् ॥१७२॥ अशोऽश्परीमूत्रकृच्छु शिरोवाताम्लपित्तनुत् कार्स पञ्चविध श्वास दाहोदरभगन्दरम् ॥१७३॥ शीथान्त्रवृद्धितिमिर्रं श्लीपदं प्लीहकामलम् […]

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Trikantakadi Guggulu | त्रिकण्टकादि गुग्गुलु : Ingredients, Uses

Meaning behind its Name :- गोक्षुर का एक नाम ‘त्रिकंठक’ है और सर्व प्रथम इस योग में गोक्षुर ( त्रिकंठक ) का उपयोग है उसके बाद में अन्य द्रव्य इसलिए इस योग का नाम त्रिकण्टकादि गुग्गुलु (Trikantakadi Guggulu) हुआ है। यह योग विशेष रूप से वीर्य रोग ( 8 ) में उपयोग में आता है। […]

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Vatari Guggulu | वातारि गुग्गुलु – Benefits, Uses, Dosage

वात, त्रिदोषों में से एक दोष है व ‘आरि’ का अर्थ होता है- शत्रु, जब इन दोनों शब्दों को मिला देते है। तो अर्थ बनता है — “वात का शत्रु”। इस योग में प्रधान रूप से गुग्गुलु होने की वज़ह से वातारि गुग्गुलु (Vatari Guggulu) नाम बना। वातारितैलसंयुक्तं गन्धकं पुरसंयुतम्। फलत्रययुतं कृत्वा पिट्टयित्वा चिरं रुजि […]

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Vidangaadi Guggulu | विडङ्गादि गुग्गुलु – it’s Preparation and Uses

इस गुग्गुलु में वाय विडंग व गुग्गुलु के प्रधान होने के साथ, अन्य द्रव्योट के होने की वजह से इसका नाम आचार्यों ने विडङ्गादि गुग्गुलु ( Vidangaadi Guggulu ) रखा। विडङ्गत्रिफलाव्योषचूर्ण गुग्गुलुना समम्। सर्पिषा वटिकां कुर्यात्स्वादेद्वा हितभोजनः। दुष्टवणापचीमेहकुष्टनाडीविशोधनः (आरग्वधादिवर्तिः) आरग्वधनिशाकोलचूर्णाज्यक्षोद्रसंयुता। सूत्रवर्तिर्वणे योज्या शोधनी गति नाशिनी (गुग्गुल वादिलेपः) गुग्गुलुस्त्रिफलाव्योधैः समांशैश्षान्य-योजितः। नाडीदुष्टवणं चापि जयेदपि भगन्दरम्॥ ( बसव. […]